असम: मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं हो सकेगी बीफ की बिक्री, मवेशी संरक्षण बिल पास

असम विधानसभा में मवेशी संरक्षण बिल (Cattle Preservation Bill) पारित कर दिया गया है। अब हिंदू धार्मिक स्थलों (मठ-मंदिर आदि) के 5 किलोमीटर के भीतर में बीफ की बिक्री नहीं की जा सकेगी। जानिए विस्तार से...



असम विधानसभा ने शुक्रवार को मवेशी संरक्षण बिल (Cattle Preservation Bill) पारित कर दिया. अब हिंदू धार्मिक स्थलों (मठ-मंदिर आदि) के 5 किलोमीटर के भीतर में बीफ की बिक्री नहीं की जा सकेगी. इसके अलावा भी बिल में कई तरह के अन्य प्रावधान भी हैं. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य विधानसभा में विचार के लिए 'मवेशी संरक्षण बिल' पेश किया और कहा कि राज्य कुछ चीजों पर जोर दे रहा है जैसे कि राज्य की सीमाओं के पार गोमांस के ट्रासंपोर्टेशन आदि पर रोक. 


असम में नए कानून के पास होने के बाद एक राज्य से दूसरे राज्य में मवेशियों को मारने के लिए नहीं ले जाया जा सकेगा. इसके परिवहन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, यदि कोई कृषि गतिविधियों के लिए ले जाना चाहता है, तो फिर उसे अनुमति लेनी होगी.


उन्होंने कहा कि इस बिल में सुझाव के लिए तीस दिनों का वक्त दिया गया था. हम विपक्ष द्वारा सुझाए गए सुझावों को सुनने के लिए तैयार थे लेकिन वो किसी सही तथ्य के साथ नहीं आए. आज पास किया गया बिल 1950 के दशक में कांग्रेस द्वारा लाए गए कानून में संशोधन मात्र है.


उन्होंने असम विधानसभा में कहा कि राज्य में कई किलोमीटर के इलाके हैं, जहां पर कोई मंदिर नहीं है और 70,000-80,000 की बस्तियों में कोई हिंदू नहीं है. उन्होंने कहा कि यह नहीं हो सकता कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए केवल हिंदू ही जिम्मेदार हों, मुसलमानों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी. नए कानून के तहत, कोई भी व्यक्ति तब तक मवेशी को नहीं मार सकेगा, जब तक उसने संबंधित क्षेत्र के रजिस्टर्ड पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी जरूरी मंजूरी प्रमाण पत्र नहीं हासिल कर लिया हो.




प्रमाण पत्र मिलने पर ही बेच सकेंगे मांस

धिनियमित हो जाने पर कानून किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने से निषिद्ध करेगा, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो। विधेयक के अनुसार, पशु चिकित्सा अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा, जब उसकी राय में मवेशी, जोकि गाय नहीं है और उसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो। गाय, बछिया या बछड़े का तभी वध किया जा सकता है, जब वह स्थायी रूप से अपाहिज हो।


विधेयक के मुताबिक, उचित रूप से लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त बूचड़खानों को मवेशियों को काटने की अनुमति दी जाएगी। यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो नया कानून राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन पर रोक लगाएगा। हालांकि, एक जिले के भीतर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।



दोषी पाए जाने पर दी जाएगी यह सजा

बिल के कानून बनने पर कोई भी व्यक्ति मवेशियों का वध करने से निषिद्ध करेगा, जब तक उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो। इस नए कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे। दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद या 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।


अगर कोई दोषी दूसरी बार उसी या संबंधित अपराध का दोषी पाया जाता है तो सजा दोगुनी हो जाएगी। कानून पूरे राज्य में लागू होगा और ‘मवेशी’ शब्द बैल, गाय, बछिया, बछड़े, नर और मादा भैंस और भैंस के कटड़ों पर लागू होगा।



पशुओं का ट्रांसपोर्ट जिले के बाहर पूरी तरह बैन 

कर दिया हैउन्होंने बताया- हमने पशुओं का ट्रांसपोर्ट जिले के बाहर पूरी तरह बैन कर दिया है. ये एक जिले से दूसरे जिले स्लॉटर के लिए नहीं ले जाए जा सकते. खेती-किसानी से जुड़े जानवरों को ले जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी.


पांच सालों के दौरान ज्यादातर सांप्रदायिक विवाद बीफ खाने को लेकर ही हुएसाथ ही सीएम ने यह भी कहा- बीते पांच सालों के दौरान ज्यादातर सांप्रदायिक विवाद बीफ खाने को लेकर ही हुए हैं. किसी भी व्यक्ति को बीफ नहीं खाने वाले समुदाय की भावना का खयाल रखना ही होगा.

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