नागपंचमी: जानिए कब से और क्यों मनाई जाती है नागपंचमी? इस दिन रुद्राभिषेक का क्या महत्व है?



नाग पंचमी का त्योहार हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि आज है। भगवान शिव के गले में स्थान पाने वाले नागों की हिंदू धर्म में पूजा की जाती है, दरअसल ग्रहों के समान नागों को भी प्रभावशाली माना गाय है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता साथ ही ग्रहों का प्रतिकूल असर भी दूर होता है।



नाग पंचमी और भगवान श्री कृष्ण: पौराणिक कथाओं के अनुसार नाग पंचमी का एक किस्सा भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि एक बार जब भगवान कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तब गलती से उनकी गेंद नदी में जा गिरी । इस नदी में कालिया नाग का वास था । गेंद नदी में जाती देख भगवान कृष्ण नदी में जा कूद पड़े । नदी में कालिया नाग ने भगवान कृष्ण पर हमला कर दिया लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे सबक सिखाया। भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण जी को जानने के बाद कालिया नाग ने उनसे मांफी मांगी और वचन दिया कि वो अब से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। कहते है कि कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।



नाग देवता को समर्पित है पंचमी तिथि

एक तरफ तो नाग को देखते ही लोगों के होश उड़ जाते हैं तो दूसरी ओर लोग उनकी पूजा भी करते हैं। दरअसल भविष्य पुराण और दूसरे कई पुराणों में नागों को देव रूप में बताया गया है। यह कहीं भगवान शिव के हार रूप में नजर आते हैं तो कहीं भगवान विष्णु की शैय्या रूप में। इतना ही नहीं सागर मंथन के समय नाग को महत्वपूर्ण भूमिका में रस्सी रूप में दिखाया गया है। पुराणों में तो कई दिव्य नाग और नागलोक तक का जिक्र किया गया है। इन्हीं कथाओं और मान्यताओं के कारण हिंदू धर्म में नागों को देवताओं के समान पूजनीय बताया गया है और पंचमी तिथि को नाग देवता को समर्पित किया गया है।



दो तिथियों को होती है नागों की पूजा

खास तौर पर सावन महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का नाग पूजन में बड़ा महत्व बताया गया है। सावन मास की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की पंचमी को देश के अलग-अलग भागों में नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी का पर्व देश के कुछ हिस्सों में सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं, जो 13 अगस्त को मनाया जाएगा। वहीं अन्य हिस्सों में सावन मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं, जो 28 जुलाई को थी। इस दिन बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान में नाग पंचमी का त्योहार मानाया जाता है।



नाग पंचमी का महत्व

कुंडली में अगर कालसर्प योग, ग्रहण योग, गुरु चांडाल योग आदि अशुभ योग पाए जाते हैं तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करके इन दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन भारत के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर नाग देवता की पूजा आराधना की जाती है। कई लोग इस दिन नाग को दूध पिलाकर नाग देवता से रक्षा की कामना करते हैं। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा के साथ ऋषि आस्तिक के जन्म की कथा और सर्प यज्ञ की कथा पढने से भी नाग देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर गाय के गोबर से नाग का चित्र बनाने से भी नाग दंश का भय दूर होता है ऐसी मान्यताएं कहती हैं।




नाग पंचमी पूजा और पंचमी तिथि से नागों का संबंध

नाग पंचमी के दिन नाग पूजा को लेकर भविष्य पुराण के पंचमी कल्प में एक रोचक कथा मिलती है। कथा के अनुसार, राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए के फैसला किया था। राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी इसलिए जनमेजय ने यज्ञ से संसार के सभी सांपों की बलि चढ़ाने का निश्चिय किया।



पाताल लोक में छिप गए तक्षक नाग

राजा जनमेजय का यज्ञ इतना शक्तिशाली था कि उसके प्रभाव से सभी सांप अपने आप खिंचे चले आते थे। तक्षक नाग इस यज्ञ के भय से पाताल लोक में जाकर छिप गए। राजा जनमेजय ने भी तक्षक नाग की मृत्यु के लिए यह यज्ञ शुरू किया थे लेकिन काफी देर बाद तक तक्षक नाग नहीं आए तब राजा ने ऋषियों और मुनियों यज्ञ में मंत्रों की शक्तियों को बढ़ाने को कहा, जिससे तक्षक नाग यज्ञ में आकर गिर जाएं।



इस तरह बचे सभी नाग

मंत्रों की वजह से तक्षक नाग यज्ञ की ओर खिंचे चले जा रहे थे। उन्होंने सभी देवताओं से जान बचाने का आग्रह किया। तब देवताओं के प्रयास से ऋषि जरत्कारु और नाग देवी मनसा के पुत्र आस्तिक मुनि नागों को हवन कुंड में सांपों को जलने से बचाने के लिए आगे आए। ब्रह्माजी के वरदान के कारण आस्तिक मुनि ने जनमेजय के यज्ञ का समाप्त करवाकर नागों के प्राण बचा लिए थे।



इसलिए मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार

बताया जाता है कि जिस दिन ब्रह्माजी ने आस्तिक मुनि द्वारा नागों को बचाने का वरदान दिया था, उस दिन पंचमी तिथि थी। इसके साथ ही जिस दिन आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय के यज्ञ को समाप्त करवाकर नागों के प्राण बचाए थे, उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी। इसलिए सांपों को पंचमी तिथि अति प्रिय है। इसलिए पंचमी और सावन की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार मनाने की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है।



गुड़िया को पीटने की परंपरा- उत्तर प्रदेश में नागपंचमी के दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यहां पर इस दिन गुड़िया को पीटा जाता है. इसके पीछे कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. एक कथा के मुताबिक, तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी. कुछ वर्षों के बाद तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुआ. विवाह के बाद उसने अतीत का यह राज एक सेविका को बता दिया. कन्या ने सेविका से कहा कि वो ये बात किसी और को ना बताए लेकिन सेविका से रहा नहीं गया और उसने यह बात एक दूसरी सेविका को बता दी. इस तरह बात फैलते-फैलते ये बात पूरे नगर में फैल गई. 


ये बात जब तक्षक के राजा तक पहुंची तो उन्हें क्रोध आ गया. उन्होंने नगर की सभी स्त्रियों को चौराहे पर इकट्ठा होने का आदेश दिया. इसके बाद कोड़ों से पिटवाकर उन्हें मरवा दिया. राजा को इस बात का गुस्सा था कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती और इस वजह से उसकी पीढ़ी से जुड़ी अतीत की एक पुरानी बात पूरे साम्राज्य में फैल गई. मान्यताओं के अनुसार, तभी से यहां गुड़िया पीटने की परंपरा मनाई जा रही है.


परंपरा से जुड़ी एक अन्य कथा- गुड़िया पीटने की परंपरा से जुड़ी एक अन्य कथा भी प्रचलित है जो भोलनाथ के एक भक्त से जुड़ी है. इस कथा के मुताबिक, भोलेनाथ का एक परम भक्त हर दिन शिव मंदिर जाकर पूजा करता था और नाग देवता के दर्शन करता था. भक्त हर दिन नाग देवता को दूध पिलाता था. धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया. नाग देवता को भक्त से इतना लगाव हो गया कि वो उसे देखते ही अपनी मणि छोड़ उसके पैरों में लिपट जाता था.


एक दिन सावन के महीने में वो भक्त अपनी बहन के साथ उसी शिव मंदिर में आया. नाग हमेशा की तरह भक्त को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया. ये दृश्य देखकर बहन भयभीत हो गई. उसे लगा कि नाग उसके भाई को काट रहा है. बहन ने भाई की जान बचाने के लिए उस नाग को पीट-पीटकर मार डाला. इसके बाद जब भाई ने अपनी और नाग की पूरी कहानी बहन को सुनाई तो वह रोने लगी. वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि 'नाग' देवता का रूप होते हैं. तुमने उसे मार दिया इसीलिए तुम्हें दंड मिलेना चाहिए. हालांकि, यह पाप अनजाने में हुआ है इसलिए भविष्य में आज के दिन लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा. इस तरह नाग पंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा शुरू हुई.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अध्यादेश क्या होता है? अध्यादेश और विधेयक में अंतर

कचरा प्रदूषण (Garbage Pollution): समस्या और समाधान

Global Youth Development Index: 181 देशों की रैंकिंग में भारत 122वें नंबर पर, जानें कौन सा देश है टॉप पर