भारत बना सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष, पीएम मोदी करेंगे अध्यक्षता, एक महीना है कार्यकाल
सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत का दो साल का कार्यकाल एक जनवरी, 2021 को शुरू हुआ था. अगस्त की अध्यक्षता सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर 2021-22 कार्यकाल के लिए भारत की पहली अध्यक्षता होगी.
भारत इस अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना है. उसने ये जिम्मेदारी संभाल भी ली है. अगले एक महीने तक भारत यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) की अध्यक्षता करेगा। यह भारत का दसवां कार्यकाल है। अब तक भारत नौ बार इसका अध्यक्ष रह चुका है। पहली बार जून 1950 में, दूसरी बार सितंबर 1967 में, तीसरी बार दिसंबर 1972, चौथी बार अक्टूबर 1977 में, पांचवी बार फरवरी 1985 में, छठी बार अक्टूबर 1991 में, सातवीं बार दिसंबर 1992 में, आठवीं बार अगस्त 2011 में और नौवीं बार नवंबर 2012में।
2012 के बाद अब भारत को एक बार फिर से मौका मिला है। अध्यक्षता मिलने के बाद भारत ने फ्रांस का धन्यवाद किया। इससे पहले फ्रांस ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का अध्यक्ष था।
भारत फिलहाल दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है. परिषद में केवल 05 स्थायी सदस्य हैं, जो अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ़्रांस हैं. इसके अलावा दो साल के लिए 10 अस्थायी सदस्य बनाए जाते हैं, लेकिन उनके पास स्थायी सदस्यों की तरह वीटो का पॉवर नहीं होता.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने बदलती है. यह अंग्रेज़ी के अल्फ़ाबेटिकल ऑर्डर में होता है. इसी के चलते फ़्रांस के बाद भारत की बारी आई है. भारत एक जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था. भारत की सदस्यता 31 दिसंबर, 2022 को ख़त्म होगी. इस पूरे कार्यकाल में भारत के पास दो बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता आएगी.
वैसे भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की दावेदारी करता रहा है. भारत के अलावा दुनिया के तमाम अन्य देश भी संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार के साथ सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
भारत की ओर से अगस्त के लिए यूएनएससी की अध्यक्षता ग्रहण करने पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे, जिन्होंने यूएनएससी की बैठक की अध्यक्षता करने का फैसला किया है. साथ ही कहा कि यूएनएससी पर ये हमारा आठवां कार्यकाल है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने 15 राष्ट्रों के शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र निकाय की भारत की तरफ से अध्यक्षता संभाले जाने की पूर्व संध्या पर एक वीडियो संदेश में कहा कि हमारे लिए उसी महीने में सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालना विशेष सम्मान की बात है, जिस महीने हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं.
भारत की अध्यक्षता का पहला कार्यकारी दिवस सोमवार, दो अगस्त को होगा जब तिरुमूर्ति महीने भर के लिए परिषद के कार्यक्रमों पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन करेंगे. कुछ लोग वहां मौजूद होंगे जबकि अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जुड़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी कार्यक्रम के मुताबिक तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र के उन सदस्यों देशों को भी कार्य विवरण उपलब्ध कराएंगे जो परिषद के सदस्य नहीं हैं.
भारत का दो साल का कार्यकाल एक जनवरी 2021 को हुआ था शुरू
सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत का दो साल का कार्यकाल एक जनवरी, 2021 को शुरू हुआ था. अगस्त की अध्यक्षता सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर 2021-22 कार्यकाल के लिए भारत की पहली अध्यक्षता होगी. भारत अपने दो साल के कार्यकाल के अंतिम महीने यानी अगले साल दिसंबर में फिर से परिषद की अध्यक्षता करेगा. अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत तीन बड़े क्षेत्रों समुद्री सुरक्षा, शांतिरक्षण और आतंकवाद रोकथाम के संबंध में तीन उच्च स्तरीय प्रमुख कार्यक्रमों का आयोजन करेगा.
फ्रांस और रूस ने दी भारत को बधाई
भारत के सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए नई दिल्ली में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि उनका देश आज दुनिया के सामने आने वाले कई मुद्दों से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा।
लेनिन ने ट्वीट कर कहा- “खुशी है कि भारत आज फ्रांस से UNSC की अध्यक्षता संभाल रहा है। हम भारत के साथ समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद विरोधी रणनीतिक मुद्दों पर काम करने और आज के कई मौजूदा संकटों का सामना करने के लिए एक नियम-आधारित, बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने ट्वीट कर कहा कि एजेंडे से वास्तव में प्रभावित हूं, जिसमें समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद विरोधी वैश्विक मुद्दों को शामिल किया गया है. फलदायी और प्रभावी काम की उम्मीद है वहीं भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन ने कहा कि हम समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद से मुकाबले जैसे रणनीतिक मुद्दों पर भारत के साथ काम करने और नियम आधारित बहुपक्षीय प्रणाली को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
पाकिस्तान हुआ परेशान
भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालते ही पाकिस्तान टेंशन में आ गया है। अफगानिस्तान में तनावपूर्ण हालात के बीच भारत के UNSC अध्यक्ष बनते ही पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है।
दुनिया की सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भारत की ताजपोशी
भारत की इस उपलब्धि पर पाकिस्तान को तीखी मिर्ची लगी है और उसने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया
पाकिस्तान को डर है कि भारत अफगानिस्तान में पाकिस्तान की नापाक चाल को फेल कर सकता है
इस्लामाबाद
दुनिया की सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भारत की ताजपोशी से पाकिस्तान को तीखी मिर्ची लगी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को उम्मीद जताई कि भारत अपने कार्यकाल के दौरान निष्पक्ष होकर काम करेगा। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हाफीज चौधरी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत अपने कार्यकाल के दौरान प्रासंगिक नियमों और मानकों का पालन करेगा।
एक महीने तक कश्मीर के मामले पर कोई भी चर्चा नहीं कर पाएगा पाक
पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा, 'चूंकि भारत ने इस पद को संभाल लिया है, हम उसे एक बार फिर से यह याद दिलाना चाहते हैं कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जम्मू-कश्मीर पर प्रस्तावों को लागू करे।' बता दें कि भारत ऐसे समय पर सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना है जब अफगानिस्तान में पाकिस्तान के समर्थन से तालिबान खूनी हिंसा कर रहा है। अफगान सेना के साथ उसकी जंग जारी है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक भारत के अध्यक्ष रहने का मतलब यह है कि पाकिस्तान अब एक महीने तक कश्मीर के मामले पर कोई भी चर्चा सुरक्षा परिषद में नहीं कर पाएगा। इसी वजह से पाकिस्तान को भारत के अध्यक्ष बनने पर मिर्ची लग रही है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का कड़ा विरोध कर रहा है। यही नहीं अगले एक महीने में अफगानिस्तान से विदेशी सेनाएं वापस जा रही हैं और ऐसे में अफगानिस्तान को लेकर कई बड़े घटनाक्रम हो सकते हैं।
सुरक्षा परिषद में चीन और पाकिस्तान पर नकेल कसेगा भारत
पाकिस्तान, तालिबान और चीन की नापाक चाल को भारत सुरक्षा परिषद के जरिए मात दे सकता है। पाकिस्तान हमेशा से ही भारत की अफगानिस्तान में मौजूदगी का विरोध करता रहा है। सबसे अहम बात यह है कि भारत ने अगले एक महीने के कार्यकाल के दौरान जो 'प्रोग्राम ऑफ वर्क' बनाया है, उसमें चीन और पाकिस्तान पर नकेल कसना शामिल है। भारत आतंकवाद विरोधी अभियान और समुद्री नौवहन सुरक्षा पर चर्चा करने जा रहा है। इनसे पाकिस्तान और चीन का चिढ़ना तय है।
जानें कितनी ताकतवर होती है सुरक्षा परिषद, जिसका अध्यक्ष बना भारत
इस अगस्त के महीने में भारत संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) की सुरक्षा परिषद (Security council) का अध्यक्ष बना है. असल हमें संयुक्त राष्ट्र संघ की सारी ताकत इसी परिषद में निहित होती है, जिसमें दुनिया के तमाम मुद्दों को लेकर बहस होती है और फैसले लिए जाते हैं. यहां उठने वाले मुद्दे दुनियाभर में एक खास दबाव का भी काम करते हैं
क्या है सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी?– संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंज़ूरी देने की ज़िम्मेदारी है.
कैसे चुने जाते हैं अस्थायी सदस्य ?– संयुक्त राष्ट्र संघ में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना जाना भी असरदार स्थिति होती है. इसमें सदस्य देश बहुमत के साथ जिस 10 देशों को इस भूमिका के लिए हर दो साल पर चुनते हैं, वो परिषद में अस्थायी सदस्यता हासिल कर लेता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ के 05 स्थायी सदस्य होते हैं और 10 अस्थायी सदस्य. अस्थायी सदस्य हर दो साल पर चुने जाते हैं.
भारत का सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य पर चुनाव करीब एक साल पहले जबरदस्त वोटों के साथ हुआ था. उसे तब 192 में 184 वोट मिले हैं. इससे दो बातें साफ हैं कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर भारत को दुनियाभर के देशों का बड़ा समर्थन हासिल है. दूसरा मतलब ये है कि विश्व बिरादरी में भारत का एक खास स्थान है, दुनिया के देश उसके प्रति विश्वास रखते हैं. भारत पहली बार 1950 में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था.
भारत इससे पहले कितनी बार चुना गया है?– भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का आठवीं बार अस्थाई सदस्य चुना गया है. 09 साल बाद भारत को ये स्थिति फिर हासिल हुई है. इससे पहले, भारत को 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और हाल ही में 2011-2012 में सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना जा चुका है.
क्या अस्थायी सदस्य अपने मामलों को ज्यादा असरदार तरीके से उठा पाते हैं?– अस्थायी सदस्य अपने मामलों को कहीं ज्यादा असरदार तरीके से उठा सकते हैं. तमाम मुद्दों पर वोटिंग प्रक्रिया जब केवल सुरक्षा परिषद में होती है तो अस्थाई सदस्य देशों की भूमिका भी अहम होती है. उन्हें चुनने का उदेश्य भी सुरक्षा परिषद में क्षेत्रीय संतुलन क़ायम करना है. कई देश तो सालों से वोट पाने के लिए मशक्कत करते रहते हैं.
सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी मुख्प्राय ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखना है.
गैर स्थायी देश किस तरह चुने जाते हैं?– इसमें अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिए 5; पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए 1; लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देशों के लिए 2; और पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों के लिए 2 सीटें तय हैं. इसमें कोई देश तभी चुना जाता है जबकि उसे दो तिहाई बहुमत से जीत मिले.
सुरक्षा परिषद के स्थायी देश कौन हैं?संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाँच देशों – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन को स्थाई सदस्यता प्राप्त है. इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्व युद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है, जब सुरक्षा परिषद का गठन किया गया था.
क्या स्थायी सदस्यों की बढ़ाने की मांग भी सुरक्षा परिषद के लिए होती रही है?– सुरक्षा परिषद की 1946 में हुई पहली बैठक के बाद से यद्यपि स्थाई सदस्यों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है लेकिन स्थायी सदस्यों की संख्या बढा़ने की मांग लगातार जोर पकड़ती रही है. भारत, जर्मनी, जापान और ब्राज़ील तथा अफ़्रीकी संघ के देश परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए प्रयास कर रहे हैं. इनमें भारत, जर्मनी, जापान और ब्राज़ील ने अपनी दावेदारी के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते जी-4 नामक संगठन बनाया है.
संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन कैसे हुआ था ?– दूसरे विश्वयुद्ध के भयंकर परिणाम के बाद, शांतिप्रिय देशों के संगठन के रुप में 1945 में संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ. संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को युद्द की विभीषिका से बचाना था. संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद को विशेष रुप से विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी दी गई. सुरक्षा परिषद की पहली बैठक 1946 में हुई.
सुरक्षा परिषद की भूमिका, शक्तियां और काम क्या हैं– सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी मुख्प्राय ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखना है. इसकी शक्तियों में शांति अभियानों में योगदान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करना तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई करना शामिल है.– ये ऐसी संस्था या निकाय है जो सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार रखती है– संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिये बाध्य हैं.







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