ईडी का फ्लिपकार्ट को नोटिस, अमेजन पर भी गिर सकती है गाज
भारत की दिग्गज ई कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट को प्रवर्तन निदेशालय ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि कंपनी पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए। साथ ही अमेजन को भी जल्द जारी किया जा सकता है कारण बताओ नोटिस।
वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट (Flipkart) और उसके फाउंडर्स के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बड़ा एक्शन लिया है. कंपनी पर FEMA यानी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप है. ईडी ने उन्हें 10,600 करोड़ का कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है. इसके बाद कंपनी की ओर से इस मसले पर बयान जारी किया गया है. फ्लिपकार्ट ने आज कहा कि वो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों सहित भारतीय कानूनों का अनुपालन करता है और फेमा के कथित उल्लंघन को लेकर भेजे गए नोटिस पर प्रवर्तन निदेशालय के साथ सहयोग करेगा.
देश में मशहूर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट और अमेजॉन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। काफी वक्त से इनकी जांच में जुटे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फ्लिपकार्ट को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 1.35 बिलियन अमरीकी डॉलर का जुर्माना लगाने की बात कही है। इन कंपनियों पर विदेशी निवेश कानूनों के कथित उल्लंंघन का आरोप लगा है।
10 लोगों को जारी किया गया था नोटिस
सूत्रों के अनुसार, फेमा की विभिन्न धाराओं के तहत पिछले महीने कुल 10 लोगों को नोटिस जारी किया गया था, जिनमें फ्लिपकार्ट, उसके संस्थापक सचिन बंसल और बिन्नी बंसल शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद नोटिस जारी किया गया और कंपनी पर लगे आरोपों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों का उल्लंघन और बहु-ब्रांड खुदरा को विनियमित करना शामिल हैं.
ईडी ने वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट (Flipkart) और इसके संस्थापकों को नोटिस जारी हुए पूछा है कि विदेशी निवेश कानूनों के कथित उल्लंघन के लिए क्यों ना उन पर $1.35 बिलियन का दंड लगा देना चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय कई वर्षों से ई-कॉमर्स साइट्स फ्लिपकार्ट और अमेज़न (Amazon) की जांच कर रही है। ईडी के हिसाब से ये दोनों ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विदेशी निवेश कानूनों का पालन नहीं कर रहे हैं।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह मामला उन आरोपों की जांच से संबंधित है, जिनमें फ्लिपकार्ट ने विदेशी निवेश और डब्ल्यूएस रिटेल को अपनी ओर खींचा और फिर उपभोक्ताओं को अपनी पिंग वेबसाइट पर उपभोक्ताओं को गैर-कानूनी सामान बेचा।
इससे पहले भी जुलाई में फ्लिपकार्ट और इसके संस्थापक सचिन बंसल व बिन्नी बंसल के साथ-साथ वर्तमान निवेशक टाइगर ग्लोबल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें पूछा गया था कि उन्हें जुर्माने का सामना क्यों नहीं करना चाहिए।
फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा, "कंपनी भारतीय नियमों और विनियमों का पालन कर रही है। हम अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे क्योंकि वे अपने नोटिस के अनुसार 2009-2015 की अवधि से संबंधित इस मुद्दे को देखेंगे।"
भारतीय एजेंसियां जांच के दौरान पार्टियों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं रखती हैं। फिलहाल फ्लिपकार्ट और अन्य के पास नोटिस का जवाब देने के लिए लगभग 90 दिन का वक्त है।
गौरतलब है कि वॉलमार्ट ने 2018 में ई-कॉमर्स साइट प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट में 16 अरब डॉलर से एक बड़ी हिस्सेदारी ली, यह अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना गया। सचिन बंसल ने उस समय अपनी हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेच दी थी, जबकि बिन्नी बंसल ने एक छोटी हिस्सेदारी जारी रखी थी।
जुलाई 2021 में 3.6 बिलियन डॉलर के फंडिंग दौरन फ्लिपकार्ट का मूल्यांकन 3 साल से भी कम वक्त में दोगुना होकर 37.6 बिलियन डॉलर हो चुका था।
भारत के खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट अपने प्लेटफॉर्म पर चुनिंदा विक्रेताओं को सपोर्ट करते हैं और छोटे व्यापारों को नुकसान पहुंचाते हुए विदेशी निवेश कानूनों का उल्लंघन करने के लिए मुश्किल व्यावसायिक तरीकों का उपयोग करते हैं। जबकि फ्लिपकार्ट और अमेजन इससे लगातार इनकार करती आए हैं।
फेमा क्या है?
आर्थिक सुधारों तथा उदारीकृत परिदृश्य के प्रकाश में फेरा को एक नए अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, इसी को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 कहा जाता है।
यह अधिनियम भारत में निवासी किसी व्यक्ति के स्वामित्वाधीन या नियंत्रण में रहने वाली भारत के बाहर की सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा प्राधिकरणों पर लागू होता है।
फेमा की शुरुआत एक निवेशक अनुकूल विधान के रूप में की गई थी परन्तु यह एक अर्थ में पूर्णतया सिविल विधान है क्योंकि इसके उल्लघंन में केवल मौद्रिक शास्तियों तथा अर्थदंड का भुगतान करना ही शामिल है।
इसके तहत किसी व्यक्ति को सिविल कारावास का दंड तभी दिया जा सकता है यदि वह नोटिस मिलने की तिथि से 90 दिन के भीतर निर्धारित अर्थदंड का भुगतान न करे परन्तु यह दंड भी उसे कारण बताओ नोटिस तथा वैयक्तिक सुनवाई की औपचारिकताओं के पश्चात् ही दिया जा सकता है।
फेमा को एक कठोर कानून (यानी फेरा) से उद्योग अनुकूल विधान अपनाने के लिये उपलब्ध कराई गई संक्रमण अवधि माना जा सकता है।
फेमा में केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूति में लेनदेन करने की अनुमति दी गई है। अधिनियम के अंतर्गत, ऐसे अधिकृत व्यक्ति का अर्थ अधिकृत डीलर, मनी चेंजर, विदेशी बैंकिंग यूनिट या कोई अन्य व्यक्ति जिसे उसी समय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया हो, से है।
फेमा के मुख्य उद्देश्य हैं:
→ विदेशी व्यापार तथा भुगतानों को आसान बनाना
→ विदेशी मुद्रा बाजार का अनुरक्षण और संवर्धन करना।

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