INS विक्रांत: भारत का पहला स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर

भारत के पहले स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर INS विक्रांत का समुद्री परीक्षण शुरू हो चुका है। अगले साल तक इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल हो जाएगा। 64 खतरनाक मिसाइलों से लैस होगा INS विक्रांत, जानिए इसके बारे में सबकुछ....

आईएनएस विक्रांत (IAC) 1 का समुद्री परीक्षण (परीक्षणों के अंतिम चरणों में से एक) शुरू किया गया।

भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक जहाज ‘विक्रांत’ का समुद्र में परीक्षण शुरू हो गया. यह देश में निर्मित सबसे बड़ा और जटिल युद्धपोत है. भारतीय नौसेना ने इसे देश के लिए ‘‘गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक’’ दिन बताया और कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जिनके पास विशिष्ट क्षमता वाला स्वदेशी रूप से डिजाइन किया, निर्मित और एकीकृत अत्याधुनिक विमानवाहक पोत है. इस जहाज का वजन 40,000 टन है और यह पहली बार समुद्र में परीक्षण के लिए तैयार है. इसके नाम वाले एक जहाज ने 50 साल पहले 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभायी थी.

वर्तमान में भारत के पास केवल एक विमान वाहक पोत है-रूसी मूल का आईएनएस विक्रमादित्य।

इससे पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने प्रोजेक्ट-75 I के तहत भारतीय नौसेना के लिये छह उन्नत पनडुब्बियों के प्रस्ताव हेतु अनुरोध (RFP) जारी करने को मंज़ूरी दी थी।

इस विमानवाहक जहाज को अगले साल के उत्तरार्द्ध में भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की संभावना है. 1971 के युद्ध में जीत में अहम भूमिका निभाने वाले अपने शानदार पूर्ववर्ती जहाज के 50वें साल में यह समुद्र में परीक्षण के लिए पहली बार रवाना हुआ. 



पहला स्‍वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर

आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है. इसका सी ट्रायल शुरू हो गया है. साल 2022 तक इसे नौसेना में कमीशंड कर दिया जाएगा. इंडियन नेवी में इस समय 48 जहाजों और पनडुब्बियों को कमीशन करने पर काम जारी है.

आईएनएस विक्रांत पर फरवरी 2009 में काम शुरू हुआ था मगर इसे कई बार रोका गया. इस वजह से प्रोजेक्‍ट में देर होती गई. इस एयरक्राफ्ट कैरियर में 76% से अधिक स्वदेशी उपकरण लगे हैं. साथ ही इसे तैयार करने में कई भारतीय कंपनियों की मदद ली गई है. कंपनियों ने अलग-अलग तरीके से इसे तैयार करने में मदद की है.

नौसेना के सेवामुक्त प्रथम वाहक के नाम पर पोत का नाम विक्रांत रखा जाएगा।



40,000 टन का विक्रांत

विक्रांत, संस्‍कृत के शब्‍द विक्रांतः से प्रेरित है. हिंदी में इसका अर्थ ‘साहसी’ होता है. आईएनएस विक्रांत फिलहाल एक एडवांस स्‍टेज में है और दिसंबर 2021 में इसे समंदर में उतार दिया जाएगा. आईएनएस विक्रांत एक मॉर्डन एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसका वजन करीब 40,000 मीट्रिक टन है.

इस जहाज की लंबाई करीब 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है. साल 2022 के अंत तक इसके नेवी में शामिल होने की उम्‍मीदे हैं. एयरक्राफ्ट कैरियर से जेट्स को टेकऑफ करने में मुश्किलें न हों इसके लिए इसमें 37,500 टन का रैम्‍प लगाया गया है.



55 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार

इसकी 30 समुद्री मील (लगभग 55 किमी. प्रति घंटे) की शीर्ष गति होने की उम्मीद है और यह चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है। इसकी सहनशक्ति 18 समुद्री मील (32 किमी. प्रति घंटे) की गति से 7,500 समुद्री मील है।



तैनात होंगी 64 बराक मिसाइलें

आईएनएस विक्रांत से मिग-29के और बाकी हल्के फाइटर जेट्स टेक ऑफ कर सकेंगे. आईएनएस विक्रांत करीब 30 जेट्स की स्‍क्‍वाड्रन को संभाल सकता है. इसमें करीब 25 ‘फिक्स्ड-विंग’ हेलीकॉप्‍टर को भी जगह मिलेगी. इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर मिग-29के, के अलावा 10 कामोव का 31 या वेस्टलैंड सी किंग हेलीकॉप्‍टर तैनात हो सकते हैं. इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर है. इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी. जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम हैं.



30 विमान हो सकेंगे तैनात

इसमें 30 विमानों का एक वायु घटक होगा, जिसमें स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के अलावा मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 हवाई पूर्व चेतावनी हेलीकॉप्टर और जल्द ही शामिल होने वाले MH-60R बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर होंगे।


शिपबोर्न हथियारों में बराक LR SAM और AK-630 शामिल हैं, जबकि इसमें सेंसर के रूप में MFSTAR और RAN-40L 3D रडार हैं। पोत में एक ‘पावर ईडब्ल्यू (इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर) सूट’ भी है।


इसमें विमान संचालन को नियंत्रित करने के लिये रनवे की एक जोड़ी और 'शॉर्ट टेक ऑफ अरेस्ट रिकवरी' सिस्टम है।



आईएनएस विजयलक्ष्मी पंडित के नाम से भी किया गया था शामिल

भारत का समुद्री इतिहास काफी समृद्ध है और गौरव से भरा है. देश के समुद्री और सैन्य इतिहास का गौरव बढ़ाने में नौसेना के पोतों का अहम योगदान रहा है. जब भारतीय नौसेना के जहाजों के योगदान को याद किया जाता है तो उनमें एक नाम आईएनएस (इंडियन नेवल शिप) विक्रांत का नाम शीर्ष पर आता है. साल 1961 में इस विमानवाहक जहाज को आईएनएस विजयलक्ष्मी पंडित के नाम से सेवा में शामिल किया गया है. बाद में इसका नाम विक्रांत किया गया जिसका संस्कृत में मतलब अपराजेय और साहसी होता है.


ब्रिटेन से हुआ था अधिग्रहण

इस जहाज का निर्माण ब्रिटेन के विकर्स-आर्मस्ट्रॉन्ग शिपयार्ड पर हुआ था. शुरू में इसका नाम एचएमएस (हर मजेस्टी शिप) हर्कुलस था. यह ब्रिटेन के मजेस्टिक क्लास का पोत था जिसे साल 1945 में ब्रिटिश नौसेना की सेवा में शामिल किया गया. जहाज को सक्रिय सैन्य अभियान में तैनात किया जाता, उससे पहले ही दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया. उसके बाद नौसेना की सक्रिय ड्यूटी से इस जहाज को हटा दिया गया और फिर भारतीय नौसेना को बेच दिया गया.

भारत ने वर्ष 1961 में यूनाइटेड किंगडम से विक्रांत का अधिग्रहण किया और इसने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1971 के युद्ध में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण बांग्लादेश का जन्म हुआ।



आईएनएस विक्रांत का महत्व

यह विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में युद्ध और समुद्री नियंत्रण क्षमता को मज़बूत करता है।

वायु सेना की क्षमता में वृद्धि: यह लंबी दूरी के साथ वायु सेना की शक्ति को प्रक्षेपित करनेके साथ एक अतुलनीय सैन्य उपकरण के रुप में भी कार्य करेगा। जिसमें हवाई अवरोध, सतही युद्ध, आक्रामक और रक्षात्मक काउंटर-एयर, हवाई पनडुब्बी रोधी युद्ध तथा हवाई हमले के पूर्व चेतावनी शामिल हैं।

आत्मनिर्भरता: वर्तमान में केवल पांँच या छह देशों के पास विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। भारत अब इस विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है।



क्‍यों नौसेना के लिए जरूरी हैं एयरक्राफ्ट कैरियर

किसी भी देश की नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर्स बहुत ही जरूरी होते हैं. एयरक्राफ्ट कैरियर्स समंदर में चलता-फिरता द्वीप होते हैं. ये कैरियर्स महासागर में किसी भी जगह से फाइटर जेट्स या हेलीकॉप्‍टर्स को टेकऑफ करने और लैंड करने की जगह मुहैया कराते हैं. एयरक्राफ्ट कैरियर ऐसे शहरों को सुरक्षा प्रदान करते हैं जिन्‍हें पर आतंकी हमलों का खतरा मंडराता रहता है. इसके अलावा ये फाइटर जेट्स को एक सही दूरी से दुश्‍मन की वॉरशिप पर हमला करने में सक्षम बनाते हैं.



भावी प्रयास

वर्ष 2015 से नौसेना देश के लिये एक तीसरे विमानवाहक पोत बनाने की मंज़ूरी मांग रही है जिसे अगर मंज़ूरी मिल जाती है, तो यह भारत का दूसरा स्वदेशी विमान वाहक (IAC-2) बन जाएगा। 

आईएनएस विशाल (INS Vishal) नाम से प्रस्तावित यह वाहक 65,000 टन का विशाल पोत है, जो आईएसी-1 (IAC-1) और आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) से काफी बड़ा है।

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