महान्यायवादी(Attorney general of India)

अधिकांश कॉमन-कानून का अनुसरण करने वाले देशों में महान्यायवादी (attorney general) होता है जो सरकार का मुख्य सलाहकार होता है। इसके अलावा कुछ देशों में वह पब्लिक प्रॉस्क्यूटर (सरकारी वकील) के दायित्व का भी निर्वहन करता है। वर्तमान में भारत के अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल हैं!


के के वेणुगोपाल


भारत का अटॉर्नी जनरल कौन होता है?

भारत सरकार के प्रमुख कानूनी सलाहकार के रूप में अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया (AG) की नियुक्ति होती है। केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर राष्‍ट्रपति इनकी नियुक्ति करते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 76(1) में अटॉर्नी जनरल का जिक्र है। अटॉर्नी जनरल का कार्यकाल तीन साल का होता है। केके वेणुगोपाल भारत के 15वें अटॉर्नी जनरल हैं, उन्‍हें पिछले साल एक्‍सटेंशन दिया गया था। वह सर्वोच्च न्यायालय में लंबित कई संवेदनशील मामलों में सरकार के कानूनी बचाव की कमान संभालेंगे जिसमें संविधान के अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरस्त करने की चुनौती शामिल है।



परिचय:

भारत का महान्यायवादी (AG) संघ की कार्यकारिणी का एक अंग है। AG देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी है।

संविधान के अनुच्छेद 76 में भारत के महान्यायवादी के पद का प्रावधान है।



नियुक्ति और पात्रता:

महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सरकार की सलाह पर की जाती है।

वह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो, अर्थात् वह भारत का नागरिक हो, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का पाँच वर्षों का अनुभव हो या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो अथवा राष्ट्रपति के मतानुसार वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।



कार्यालय की अवधि: 

संविधान द्वारा तय नहीं।




निष्कासन:

महान्यायवादी को हटाने की प्रक्रिया और आधार संविधान में नहीं बताए गए हैं। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है (राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है)।



कर्तव्य और कार्य:

ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार (Government of India- GoI) को सलाह देना, जो राष्ट्रपति द्वारा उसे भेजे जाते हैं।

कानूनी रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना जो उसे राष्ट्रपति द्वारा सौंपे जाते हैं।

भारत सरकार की ओर से उन सभी मामलों में जो कि भारत सरकार से संबंधित हैं, सर्वोच्च न्यायालय या किसी भी उच्च न्यायालय में उपस्थित होना।

संविधान के अनुच्छेद 143 (सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति) के तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में किये गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।

संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा उसे प्रदत्त कार्यों का निर्वहन करना।



अधिकार और सीमाएंँ:

वोट देने के अधिकार के बिना उसे संसद के दोनों सदनों या उनकी संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने तथा भाग लेने का अधिकार है, जिसका वह सदस्य नामित किया जाता है।

वह उन सभी विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का हकदार होता है जो एक संसद सदस्य को प्राप्त होते हैं।

वह सरकारी सेवकों की श्रेणी में नहीं आता है, अत: उसे निजी कानूनी अभ्यास से वंचित नहीं किया जाता है।

हालाँकि उसे भारत सरकार के खिलाफ किसी मामले में सलाह या संक्षिप्त जानकारी देने का अधिकार नहीं है।

भारत के सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General of India) और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General) आधिकारिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में महान्यायवादी की सहायता करते हैं।

महाधिवक्ता (अनुच्छेद 165): राज्यों से संबंधित ।

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