Tokyo 2020: रूसी खिलाड़ियों ने अब तक जीते 30 मेडल, पर रूस के खाते में एक भी नहीं गया, जानें वजह
रूस के खिलाड़ी विभिन्न स्पर्धाओं में उतरते हैं तो उनके नाम के साथ देश के नाम के स्थान पर 'आरओसी' लिखा आता है। आरओसी जो रूसी ओलंपिक समिति के लिए एक संक्षिप्त नाम है।
By:- Arvind Kumar Pandey
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टोक्यो ओलंपिकः जानिए क्यों रूस का ओलंपिक में नहीं दिख रहा कहीं नाम, इसलिए 'आरओसी'( ROC) के नाम से पुकारा जा रहा |
टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में रूस के 335 एथलीट्स दुनिया भर के खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। लेख लिखे जाने तक रूसी खिलाड़ियों ने 09 गोल्ड समेत कुल 30 मेडल जीत लिए हैं. लेकिन एक भी पदक रूस के खाते में नहीं गया है. दरअसल, रूस के खिलाड़ी रूसी ओलंपिक कमेटी (Russian Olympic Committee) के झंडे तले खेल रहे हैं और मेडल टैली में भी उनकी उपलब्धि आरओसी नाम से दर्ज हो रही है. रूसी खिलाड़ियों को अपने देश का नाम, उसका झंडा और राष्ट्रगान का इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि ROC का झंडा भी रूस के ध्वज से अलग है.
आखिर क्यों रूस के खिलाड़ी अपने देश के नाम से नहीं खेल पा रहे हैं. क्यों वो अपने झंडे का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (IOC) द्वारा डोपिंग के कारण रूस पर लगा चार साल का बैन (Doping Ban) है. इसके कारण टोक्यो गेम्स में रूसी खिलाड़ी अपने देश के नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (IOC) के बैनर तले खेल ले रहे हैं. वो आईओसी की दी यूनिफॉर्म पहनकर खेल रहे हैं.
रूस को टोक्यो 2020 से प्रतिबंधित करने का क्या कारण है?
रूस पर दिसंबर 2019 में वर्ल्ड एंडी डोपिंग एजेंसी (WADA) ने 4 साल के लिए बैन कर दिया गया था. रूस पर आरोप था कि वह डोप टेस्ट के लिए अपने एथलीट्स के गलत सैंपल्स भेज रहा है. जांच में यह सही पाया गया कि सैंपल्स से छेड़छाड़ हुई थी. इसके बाद वाडा ने उस पर यह प्रतिबंध लगाया. इसी बैन के कारण रूस टोक्यो ओलंपिक और 2022 में होने वाले फीफा विश्व कप (2022 FIFA World Cup) में हिस्सा नहीं ले सकता है.
वाडा के नियमों के मुताबिक, रूस के वो एथलीट जो डोपिंग के दोषी नहीं पाए गए. उन्हें न्यूट्रल खिलाड़ियों के तौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओ में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई. इसी के तहत रूसी खिलाड़ी टोक्यो गेम्स में भाग ले रहे हैं.
रूस पर मूल रूप से क्या आरोप लगा था?
2014 में, रूस की 800 मीटर की धावक यूलिया स्टेपानोवा और उनके पति विटाती, जो रूस की डोपिंग एजेंसी रूसादा (RUSADA) के एक पूर्व कर्मचारी थे, उन्होंने एक डॉक्यूमेंट्री में रूसी खिलाड़ियों के डोपिंग में शामिल होने का खुलासा किया था. बाद में इसे खेल इतिहास का सबसे 'व्यवस्थित डोपिंग प्रोग्राम' बताया गया था.
दो साल बाद रूसी डोपिंग एजेंसी के एक पूर्व अध्यक्ष ग्रिगोरी रॉडचेनकोव व्हिसलब्लोअर के तौर पर सामने आए और उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि रूस सुनियोजित तरीके से डोपिंग को बढ़ावा देने का कार्यक्रम चला रहा है और इसे सरकार से जुड़ी एजेंसियों का भी समर्थन है. इस खुलासे के बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (IOC), वाडा और अन्य वैश्विक महासंघों ने विस्तृत जांच शुरू की और इसी कड़ी में रूस को 4 साल के लिए बैन किया गया था.
डोपिंग आरोपों के बाद जांच एजेंसियों ने क्या किया?
डोपिंग से जुड़े इस खुलासे के फौरन बाद रूस की एंटी डोपिंग लैब की मान्यता 2015 में रद्द कर दी गई. शुरुआती जांच के बाद रियो ओलंपिक में रूस के 389 सदस्यीय दल में से 111 एथलीट्स को हटा दिया था. इसमें ट्रैक एंड फील्ड की पूरी टीम शामिल थी. इन आरोपों की और गहराई से जांच करने के बाद आईओसी ने रूस पर दक्षिण कोरिया में 2018 में हुए विंटर ओलंपिक में हिस्सा लेने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था.
अंत में 169 एथलीट्स ने अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय महासंघों के बैनर तले इन खेलों में हिस्सा लिया था. रूस की ओलंपिक कमेटी को तब इवेंट में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था और किसी भी वेन्यू पर देश के झंडे को आधिकारिक तौर पर प्रदर्शित नहीं किया गया था. रूस के खिलाड़ी भी न्यूट्रल यूनिफॉर्म पहनकर मैदान में उतरे थे. जिसपर लिखा था- Olympic Athletes From Russia.
इसके बाद क्या हुआ?
2020 में, कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) ने रूस पर चार साल के शुरुआती प्रतिबंध को घटाकर दो साल कर दिया था. लेकिन कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी आधिकारिक रूसी टीम वाडा द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में तब तक हिस्सा नहीं ले सकती है, जब तक उस पर लगे प्रतिबंध की अवधि (16 दिसंबर, 2022) पूरी नहीं हो जाती. इसका मतलब साफ था कि रूसी की आधिकारिक टीमें 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक, अगले साल टोक्यो में होने वाले पैरालिंपिक और बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक से बाहर हो गई. इतना ही नहीं, अगर रूस क्वालिफाई कर लेता है तो 2022 में कतर में होने वाले फुटबॉल विश्व कप में भी न्यूट्रल नाम से ही उतरेगा.
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