ड्रोन उड़ाने से हटे प्रतिबंध, पायलट लाइसेंस ज़रूरी नहीं, फीस मात्र ₹100

केंद्र सरकार ने नई ड्रोन नीति के तहत ड्रोन के लिए फॉर्म/मंजूरियों की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी है

केंद्र सरकार ने नई ड्रोन नियम 2021 बनाकर एवं पुरानी नियमावली को बदलते हुए ड्रोन उड़ाने एवं मानव रहित विमान प्रणालियों के लिए पहले के मुकाबले रास्ता बहुत आसान कर दिया है। इस मामले में सिविल एविएशन मंत्रालय का कहना है कि उन्होंने विश्वास के आधार पर एवं घुसपैठ निगरानी के लिए इस प्रकार नियमावली में बदलाव किए हैं।

लंबे समय से ड्रोन नियमों पर लगाई गई सख़्ती को केंद्र सरकार की एविएशन मंत्रालय ने बृहस्पतिवार (26 अगस्त, 2021) को नए ड्रोन नियम 2021 बनाते हुए बदला एवं देश की ड्रोन पॉलिसी को और अधिक लचीला और आसान बना लिया।

सिविल एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया से बातचीत में कहा:

“दुनिया के कई नए स्टार्टअप क्षेत्रों में हवाई टैक्सियों के शोध चल रहे हैं। वह समय भी दूर नहीं जब इस नई ड्रोन पॉलिसी के तहत ऊबर टैक्सियाँ केवल सड़कों पर ही नहीं बल्कि हवा में भी देखी जा सकेंगी।”

सिंधिया ने आगे बताया कि रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि ‘शत्रु ड्रोन विरोधी’ तकनीक को विकसित करके बनाया जा सके।

ड्रोन नियमावली में छूट 

भारत में ड्रोन चलाने की नियमावली को सरल बनाते हुए कई घोषणाएँ की गईं।

सबसे पहले तो परिचालक के लिए भरे जाने वाले फॉर्म्स को 25 से घटाकर केवल 5 कर दिया गया। इसके साथ ही शुल्क के प्रकारों को भी 72 से कम कर के 4 पर ला दिया गया है। लाइसेंस शुल्क में भी भारी छूट देते हुए सभी श्रेणियों के रिमोट पायलट लाइसेंस के लिए बड़े ड्रोन के शुल्क को ₹3000 से घटाकर केवल ₹100 कर दिया गया एवं यह 10 वर्षों के लिए वैध माना जाएगा।

इसके साथ ही सरकार ने कई ऐसे अप्रूवल भी खत्म किए जिनकी पहले आवश्यकता हुआ करती थी। इनमें ऑथराइजेशन संख्या, प्रोटोटाइप पहचान संख्या, निर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंज़ूरी, छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस एवं ड्रोन पोर्ट ऑथराइज़ेशन शामिल हैं।

3 जो़न में बाँटे गए क्षेत्र  

नई ड्रोन नियमावली 2021 के तहत ड्रोन उड़ाने के लिए क्षेत्रों को 3 वर्गों- ग्रीन ज़ोन, रेड ज़ोन और येलो ज़ोन में बाँटा गया है।

ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें लगभग 400 फीट या 120 मीटर की वर्टिकल दूरी के हवाई क्षेत्र को रखा गया है। येलो ज़ोन जो कि पहले एयरपोर्ट परिसर के 45 किलोमीटर के दायरे में आता था, उसे अब घटाकर 12 किलोमीटर कर दिया गया है।


पूरे मामले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं ट्वीट करके इस विषय में जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा:

“नए ड्रोन नियम भारत में इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत करते हैं। ये नियम विश्वास एवं स्व-प्रमाणन पर आधारित हैं। इन नियमों के तहत अप्रूवल और रिक्वायरमेंट यानी अनुपालन, आवश्यकता और प्रवेश बाधाओं को बहुत कम कर दिया गया है।”

प्रधानमंत्री ने आगे यह भी लिखा कि नए नियम इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप और युवाओं को बहुत मदद करेंगे और व्यापार के लिए नई संभावनाएँ खोलेंगे। साथ ही ये नियम भारत को ड्रोन हब बनाने एवं प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लाभ उठाने में देश की मदद करेंगे।

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