भारतीय ध्वज संहिता, 2002: तिरंगा फहराने के नियम और सजा!
आज भारत द्वारा वर्ष 2021 में अपना 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया है तथा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया।
भारत का राष्ट्रीय झंडा देश के हर नागरिक के गौरव और सम्मान का प्रतीक है. जब भी कोई भारतीय इस तिरंगे को फहराता है तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है. इस लेख में हमने भारतीय झंडा संहिता, 2002 में वर्णित मुख्य नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को बताया है.
भारतीय राष्ट्रीय ध्वजया तिरंगा, भारत के बेशकीमती राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है। संविधान कहता है, कि “भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। “भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान इस झंडे के प्रतिनिधित्व में भारतीयों ने अपनी शक्तियों को एकत्र करके इसके सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए हजारों लोगों ने (सशस्त्र बलों के सदस्यों सहित) अपने जीवन का बलिदान कर दिया था।
भारतीय राष्ट्र तिरंगे का डिज़ाइन:
भारतीय राष्ट्र तिरंगे के डिज़ाइन का श्रेय काफी हद तक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को दिया जाता है।
उन्होंने दो प्रमुख समुदायों, हिंदू और मुस्लिमों के प्रतीक के रूप में दो रंग की पट्टियों/बैंड (लाल और हरे रंग) को मिलाकर झंडे की एक मूल संरचना प्रस्तुत की।
महात्मा गांधी द्वारा शांति एवं भारत में रहने वाले बाकी समुदायों तथा देश की प्रगति के प्रतीक के रूप में चरखा का प्रतिनिधित्व करने के लिये इस ध्वज़ में एक सफेद बैंड को जोड़ने का सुझाव दिया गया।
वर्ष 1963 में पिंगली वेंकैया का निधन हो गया तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिये वर्ष 2009 में मरणोपरांत उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया। वर्ष 2014 में, उनका नाम भारत रत्न के लिये भी प्रस्तावित किया गया था।
राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास:
वर्ष 1906: भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज संभवतः 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था।
इस ध्वज में लाल, पीले एवं हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थीं, जिनके मध्य में ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ था। झंडे पर लाल रंग की पट्टी में सूर्य और अर्द्धचंद्र का प्रतीक था और हरे रंग की पट्टी में आठ आधे खुले कमल थे।
वर्ष 1907: मैडम भीकाजी कामा और निर्वासित क्रांतिकारियों के समूह द्वारा वर्ष 1907 में जर्मनी में भारतीय ध्वज फहराया गया जो विदेशी भूमि में फहराया जाने वाला पहला भारतीय ध्वज था
वर्ष 1917: डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा होम रूल आंदोलन के दौरान एक नए झंडे को अपनाया गया। यह पाँच वैकल्पिक लाल रंग एवं चार हरी क्षैतिज पट्टियों में मिलकर बना था जिसमें सप्तऋषि विन्यास में सात सितारे थे। इस संयुक्त ध्वज में एक सफेद एवं अर्द्धचंद्राकार तारा ध्वज़ के शीर्ष कोने पर विद्यमान था।
वर्ष 1931: कॉन्ग्रेस समिति की कराची में बैठक में तिरंगे को (पिंगली वेंकैया द्वारा प्रस्तावित) भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। ध्वज के लाल रंग को केसरी रंग से बदल दिया गया एवं रंगों का क्रम बदला गया। इस ध्वज की कोई धार्मिक व्याख्या नहीं की गई थी।
ध्वज के शीर्ष पर स्थित केसरी रंग ‘ताकत और साहस’ का प्रतीक है, मध्य में सफेद रंग ‘शांति और सच्चाई’ का प्रतिनिधित्व करता है एवं ध्वज के नीचे स्थित हरा रंग ‘भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता’ का प्रतीक है।
ध्वज में विद्यमान चरखे को 24 तीलियों से युक्त अशोक चक्र द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि ’ गति में जीवन है और स्थायित्त्व में मृत्यु है’।.
राष्ट्रीय ध्वज आयताकार आकर में होना चाहिये जिसकी लंबाई एवं चौड़ाई क्रमश 3:2 के अनुपात में हो।
ध्वज संहिता को समझना( भारतीय ध्वज संहिता,2002)
गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस जैसे विशेष दिन परहर भारतीय, घर, स्कूल, या कार्यस्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहतें हैं। वर्ष 2004 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सम्मान और गर्व के साथ स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय झंडे को फहराने का अधिकार, भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अनुसार एक नागरिक का मौलिक अधिकार है, वह राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा और भावनाओं की अभिव्यक्ति गर्व से कर सकता है।”
इसलिए, इससे पहले कि हम आगे बढ़ें और इस मौलिक अधिकार का प्रयोग करें, आइए ध्वज संहिता पर एक नजर डालें, जोकि तिरंगा फहराने के नियमों को परिभाषित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि झंडे की गरिमा एवं सम्मान को बनाए रखा जाए।
भारत की ध्वज संहिता अलग-अलग संदर्भों में भारतीय झंडे के उपयोग के नियमों का एक समूह है और इसे 1968 में बनाया गया था। बाद में वर्ष 2002 और वर्ष 2008 में इसका अद्यतन किया गया था। वर्ष 2002 में भारत का ध्वज संहिता राज्य-चिह्न के प्रावधान के साथ प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के साथ और राष्ट्रीय सम्मान (संशोधन) अधिनियम, 2005 के लिए अपमान की रोकथाम का विलय कर दिया गया था।
भारतीय ध्वज संहता, 2002
“झंडा संहिता-भारत” के स्थान पर “भारतीय झंडा संहिता, 2002” को 26 जनवरी, 2002 से लागू किया गया है. सुविधा के लिए भारतीय झंडा संहिता को तीन भागों में बांटा या है. संहिता के भाग 1 में राष्ट्रीय ध्वज के सामान्य विवरण शामिल हैं, भाग 2 में आम लोगों, शैक्षिक संस्थाओं और निजी संगठनों के लिए झंडा फहराए जाने से सम्बंधित दिशा निर्देश दिए गए हैं. संहिता के भाग 3 में राज्य और केंद्र सरकार तथा उनके संगठनों के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं.
ध्वज संहिता का प्रथम भाग
ध्वज संहिता का प्रथम भाग मानक ध्वज के विवरण और आयाम के साथ संबंधित है।
भारतीय तिरंगा ध्वज तीन बराबर आयताकार पट्टियों से बना हुआ है –जिसमें शीर्ष पर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे वाली पट्टी में हरा रंग होता है। ध्वज की लंबाई और ऊँचाई का अनुपात 3:2 होता है।
बीच की पट्टी में गहरे नीले रंग के अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं।
एक मानक ध्वज हाथ से काटे गए और हाथ से बुने हुए ऊनी/सूती/सिल्क खादी के कपड़े से बनाया जाता है।
मानक ध्वज परिमाण
ध्वज आकार संख्या परिमाण मिलीमीटर में
1. 6300× 4200
2. 3600 × 2400
3. 2700 × 1800
4. 1800 × 1200
5. 1350 × 900
6. 900 × 600
7. 450 × 300
8. 225 × 150
9. 150 × 100
झंडे का आकार भी इस बात पर निर्भर करेगा कि उसको कहाँ पर इस्तेमाल किया जाना है. वीवीआईपी व्यक्तियों को ले जाने वाले हवाई जहाजों पर 450x300 मिमी. आकार के झंडे का इस्तेमाल किया जाना चाहिये जबकि 225x150 मिमी. आकार के झंडे का प्रयोग वीवीआईपी व्यक्तियों की कारों में होना चाहिए और मेज पर लगाये जाने वाले झंडों का आकार 150x100 मिमी. का होना चाहिए.
ध्वज संहिता का द्वितीय भाग
भारतीय ध्वज संहिता का अगला भाग संशोधन प्रदर्शन संहिता के साथ संबंधित है और इसमें एक नागरिक के लिए ध्वज के संचयन/निपटान के लिए दिशा-निर्देश हैं।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को हमेशा सम्मान की स्थिति में और जहाँ से ध्वज स्पष्ट रूप से दिखाई दे वहीं पर फहराना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज को सार्वजनिक भवनों पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जाना चाहिए।
झंडे को स्फूर्ति के साथ फहराना और झंडे को धीरे-धीरे व आदर के साथ उतारा जाना चाहिए।
झंडे की केसरिया पट्टी हमेशा सबसे ऊपर (शीर्ष प्रदर्शन के मामले में) और सटीक प्रदर्शित करके ही फहराना चाहिए। झंडे को उल्टा (केसरिया पट्टी को नीचे) प्रदर्शित करके फहराना अपराध है।
किसी फटे हुए या गंदे झंडे को प्रदर्शित करके फहराना भी एक अपराध है। किसी भी प्रयोजन के लिए राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जा सकता।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी उत्सव या सजावट के रूप में नहीं किया जाना चाहिए इसे जमीन से छूने नहीं दिया जाना चाहिए। यह एक विज्ञापन, परिधान या किसी भी तरह की चादर के रूप में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
इसे फाड़ा, क्षतिग्रस्त, जलाया या किसी भी तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता। फटे पुराने तिरंगे को सम्मान के साथ एकांत में जला देना चाहिए या इसे किसी अन्य तरीके से नष्ट कर देना चाहिए।
झंडे को आकर्षित करने के लिए उस पर किसी भी तरह का अभिलेख या भित्तिचित्र करना भी अपराध है।
सजा: झंडे के अपमान पर नेशनल ऑनर एक्ट 1971 (2003 में संशोधित) में झंडे को जमीन पर रखने जैसे कई अनादरों पर सजा का प्रावधान है। पहले अपराध पर 3 साल तक की जेल की सजा और जुर्माना देना पड़ेगा। इसके बाद अपराधों में कम से कम एक वर्ष के लिए जेल कारावास से दंडित किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा-
“मैं राष्ट्रीय झंडे और लोकतंत्रात्मक संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी पंथ-निरपेक्ष गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ लेता/लेती हूं, जिसका प्रतीक झंडा है।“
भारतीय ध्वज संहिता का तृतीय भाग
भारतीय ध्वज संहिता की तृतीय धारा, रक्षा प्रतिष्ठानों को छोड़कर ध्वज को सही स्थान पर फहराने, रखने और निपटान करने जैसे दिशा-निर्देशों के साथ संबंधित है, जो अपने स्वयं के झंडा प्रदर्शन संहिता द्वारा शासित होते हैं। इन दिशा-निर्देशों के अधिकांश खंड द्वितीय के प्रदर्शन के दिशा-निर्देशों के समान हैं।
केवल सशस्त्र बलों के कर्मियों या राज्य या केंद्रीय पैरा सैनिक बलों के सदस्य के अंतिम संस्कार की स्थिति में, झंडा ताबूत को कवर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इससे पहले कि व्यक्ति को दफनाया या दाह संस्कार किया जाए झंडे को हटा दिया जाना चाहिए।
जबकि परेड के दौरान जब झंडे को सलामी दी जाती है तो सभी लोगों को झंडे के सामने सावधान की स्थित में खड़े होना चाहिए, जबकि जो वर्दी वाले लोग हैं उन्हें सावधान की स्थित में झंडे को सल्यूट करते हुए खड़े होना चाहिए।
अन्य देशों के झंडे के साथ प्रदर्शित होने पर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को पंक्ति के किनारे से दाईं ओर (दर्शकों के बाईं ओर) या सर्कल की शुरुआत में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गवर्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर और उच्च न्यायालयों, सचिवालयों, आयुक्तों के कार्यालय, जिला बोर्डों के जिलाधीश के कार्यालय, जेल, नगरपालिका और जिला परिषदों और विभागीय/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और आधिकारिक निवासों में झंडा फहराया जाना चाहिए।
केवल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपालों और प्रतनिधि गवर्नर, प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों, भारतीय मिशनों के प्रमुखों/विदेश में पोस्ट, भारत के मुख्य न्यायाधीश और कुछ अन्य लोगों को संहिता के अनुसार अपनी कारों में राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति है।
राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या भारत के प्रधानमंत्री की मृत्यु परया पूरे देश में राष्ट्रीय शोक पर आधा लहराया जाता है।
एक राज्यपाल, उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री की मौत के मामले में, राष्ट्रीय ध्वज राज्य या संघ राज्य क्षेत्रों में आधा झुका लहराया जाता है।
विदेश में भारतीय दूतवासों के मामले में, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज केवल राज्य के प्रमुख की मृत्यु या राज्य सरकार के प्रमुख की मृत्यु की स्थिति में आधा झुका लहराया जाता है।
झंडे को आधा झुकाने से पहले इसे ऊपर ऊठाया जाता है। इस स्थित का अर्थ होता है कि राष्ट्र को गर्वांवित करना और चिंता के साथ सम्मान से विदाई देना।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जानने योग्य बातें
पिंगली वेंकय्या एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने तिरंगा का एक प्रारंभिक संस्करण तैयार किया था। जिस पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अब आधारित है।
22 जुलाई सन् 1947 में संविधान सभा ने अपनी एक बैठक में अपने वर्तमान रूप में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अंतरिक्ष के लिए पहली उड़ान भरी थी।
21 अप्रैल 1996 को स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर ने एम. आई.-8 हेलिकॉप्टर से 10000 फीट की ऊंचाई से कूदकर पहली बार तिरंगा उत्तरी ध्रुव पर फहराया।
7 दिसंबर सन् 2014 को 50,000 (भारतीय) स्वयंसेवकों द्वारा दुनिया में सबसे बड़ा मानव झंडा बनाने के लिए गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया था।
23 जनवरी सन् 2016 में सबसे ऊँचा भारतीय ध्वज एक 293 फुट स्तंभ पर फहराया गया था। झंडा 99×66 फीट मापा गया था।
18 फरवरी सन् 2016 को, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आदेश दिया कि राष्ट्रीय ध्वज भारत के सभी केन्द्र प्रायोजित विश्वविद्यालयों के परिसर में कम से कम 207 फुट ऊँची मस्तूल पर फहराये जाएंगे।
Note: भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय तिरंगा फहरा सकते हैं. इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल इतना लंबा हो कि झंडा दूर से ही दिखाई दे और झंडा खुद भी चमके. गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गये प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया था.
संवैधानिक एवं कानूनी पक्ष:
संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के प्रस्ताव को अपनाया गया ।
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘भारत का राष्ट्रीय ध्वज गहरे केसरिया (केसरी), समान अनुपात में सफेद और गहरा हरे रंग का तिरंगा होगा’ सफेद पट्टी में गहरे नील रंग का चक्र (चरखे द्वारा प्रतिस्थापित) है , जो अशोक की सारनाथ स्थित राजधानी के सिंह स्तंभ पर उपस्थित है।
संविधान सभा की समितियों में से एक, राष्ट्रीय ध्वज पर गठित तदर्थ समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है। अनुच्छेद 51 ए (ए) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।
एक व्यक्ति जो राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत वर्णित निम्नलिखित अपराधों के लिये दोषी पाया जाता है, उसे 6 वर्ष तक के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनावों में लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है। इन अपराधों में शामिल है-
राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
भारत के संविधान का अपमान करना।
राष्ट्रगान गाने से रोकना।
उम्मीद है कि ऊपर लिखे गए भारतीय झंडा संहिता, 2002 के मुख्य बिन्दुओं की मदद से आप यह समझ गए होंगे कि कौन सा काम भारत के झंडे का सम्मान बढ़ता है और कौन सा काम सम्मान घटाता है. अतः अब आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप जब भी भारत के झंडे को फहराएंगे तो आप उसकी गरिमा और सम्मान का पूरा ध्यान रखेंगे.
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